कोलकाता में हुई कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को संदेश दिया कि वो सिर्फ पारंपरिक युद्ध की सोच तक सीमित न रहें, बल्कि नई तरह के खतरों से भी निपटने के लिए तैयार रहें. उन्होंने कहा कि अब युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं लड़े जाते, बल्कि सूचना, विचारधारा, पर्यावरण और जैविक युद्ध जैसी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. इस कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के युद्ध अचानक शुरू हो जाते हैं और कितने लंबे चलेंगे, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. उन्होंने कहा ;यह दो महीने, एक साल का भी हो सकता है और पांच साल का भी। इसलिए हमारी तैयारी हमेशा पूरी होनी चाहिए’.
‘तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल जरूरी’
उन्होंने ज़ोर दिया कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल होना ज़रूरी है.उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता और नई तकनीक ही भारत की असली ताकत बनेगी. प्रधानमंत्री मोदी के दिए JAI मंत्र (जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यही भारत को भविष्य के लिए मजबूत बनाएगा.
ताकत, रणनीति, आत्मनिर्भरता भारत की ताकत
इस दौरान राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर सिंदूर का उदाहरण देते हुए कहा कि इसने साबित किया है कि ताकत, रणनीति और आत्मनिर्भरता ही भारत की शक्ति के तीन स्तंभ हैं. उन्होंने कहा कि भारत अब अपनी देशी तकनीकों, प्लेटफॉर्म्स और बहादुर सैनिकों के बल पर किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता” ही 21वीं सदी के भारत की असली ताकत हैं.
‘आत्मनिर्भरता सिर्फ एक नारा नहीं’
उन्होंने यह भी कहा किआत्मनिर्भरता सिर्फ नारा नहीं बल्कि आवश्यकता है, जो सामरिक स्वायत्तता की कुंजी है. उनके अनुसार, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता न केवल आर्थिक विकास को गति दे रही है बल्कि रोजगार भी सृजित कर रही है और शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर और रक्षा कॉरिडोर की क्षमता को भी बढ़ा रही है.
कॉन्फ्रेंस में ये लोग रहे मौजूद
इस कॉन्फ्रेंस मेंचीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.





