कर्नाटक में जातिगत जनगणना को लेकर सियासत लगातार जारी है. कर्नाटक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने आज मंगलवार को आरोप लगाया कि “जातिगत जनगणना” (caste census) के पीछे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार का अपना खास एजेंडा है. राज्य सरकार की कोशिश कर्नाटक में में वीरशैव-लिंगायत समुदाय को विभाजित करना है.
वीरशैव-लिंगायत समुदाय से आने वाले बीजेपी के नेताओं, जैसे पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई, जगदीश शेट्टार और केंद्रीय राज्य मंत्री वी सोमन्ना सहित कई अन्य ने जाति जनगणना से पहले की रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की. राज्य का सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (Social and Educational Survey), जिसे जाति जनगणना के नाम से भी जाना जाता है, और इसे 22 सितंबर से 7 अक्टूबर के बीच 420 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से आयोजित कराया जाएगा.
राज्य सरकार के पास अधिकार नहींः विजयेंद्र
बीजेपी नेता विजयेंद्र ने कहा, “वीरशैव-लिंगायत समुदाय से जुड़े कई सीनियर नेताओं ने आज मंगलवार को बैठक की और इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कराए जाने वाले जाति जनगणना को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. सबसे पहले, राज्य सरकार के पास जाति जनगणना करने का कोई अधिकार नहीं है और ना ही ऐसा कोई कानूनी प्रावधान है, लेकिन सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के नाम पर सिद्धारमैया सरकार ऐसा करने की कोशिश कर रही है.”
राजधानी बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया सरकार का एजेंडा हिंदू धर्म और वीरशैव-लिंगायत समुदाय को विभाजित करना है. उन्होंने आगे कहा, “यह पहली बार नहीं है, उन्होंने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की है. हम सभी लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की अगुवाई में मुलाकात की और हमने देश, राज्य और वीरशैव-लिंगायत समुदाय के हित में फैसला लिया कि हमें और अधिक स्पष्टता के साथ आगे बढ़ना होगा. हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा, साथ ही पूरे समुदाय को उचित दिशा भी देनी होगी.”
समुदाय के एकजुट रहने की कोशिशः विजयेंद्र
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं को अखिल भारतीय वीरशैव महासभा (जिसे इस समुदाय की सर्वोच्च संस्था भी माना जाता है) और समुदाय के कई वरिष्ठ संतों के साथ विचार-विमर्श करने की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने कहा कि महासभा ने यह तय करने का फैसला लिया है कि आने वाले दिनों में वीरशैव-लिंगायत समुदाय एकजुट रहे.
यह पूछे जाने पर कि सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान समुदाय को अपना धर्म हिंदू बताने की जगह वीरशैव-लिंगायत के रूप में बताने के महासभा के पूर्व निर्देश के संबंध में बैठक में क्या रुख अपनाया गया है, उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि समुदाय और समुदाय के नेताओं, चाहे वह वीरशैव महासभा हो या स्वामीजी, के बीच जो भी भ्रम है, उसे साफतौर पर दूर किया जाना चाहिए. हमारा मुख्य एजेंडा यह है कि देश, राज्य और समुदाय के हित में समुदाय एकजुट रहे.”
उन्होंने आगे कहा कि वीरशैव-लिंगायत समाज सिद्धारमैया सरकार के समुदाय को बांटने के एजेंडे से अवगत हैं.





